यादों की गठरी भारी लग रहा ! मुझे काल्पनिक जगत रचना | हिंदी Poetry Vide

"यादों की गठरी भारी लग रहा ! मुझे काल्पनिक जगत रचना है । ब्रह्म ज्ञान का शौक़ नहीं ; मुझे खिड़की से कुदरत निहारना है । ; ©Krishna ka kavya "

यादों की गठरी भारी लग रहा ! मुझे काल्पनिक जगत रचना है । ब्रह्म ज्ञान का शौक़ नहीं ; मुझे खिड़की से कुदरत निहारना है । ; ©Krishna ka kavya

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