दर्द न प्रकृति। नहीं सुख स्थायी ॥ | हिंदी Shayari

"दर्द न प्रकृति। नहीं सुख स्थायी ॥ सब मोह माया । नज़र नज़र की ॥ सरे सुख दुःख चले। केवल नज़र के पीछे ॥ तू बस बदल नज़रे। बदलेंगे यह मौसम भी ॥ ©sonam"

 दर्द न प्रकृति।         
   नहीं सुख स्थायी ॥
    सब मोह माया ।   
 नज़र नज़र की ॥

     सरे सुख दुःख चले।  
    केवल नज़र के पीछे ॥
    तू बस बदल नज़रे।   
    बदलेंगे यह मौसम भी ॥

©sonam

दर्द न प्रकृति। नहीं सुख स्थायी ॥ सब मोह माया । नज़र नज़र की ॥ सरे सुख दुःख चले। केवल नज़र के पीछे ॥ तू बस बदल नज़रे। बदलेंगे यह मौसम भी ॥ ©sonam

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