वो तो हुस्न के कातिल है , उन्हें फर्क कहा पड़ता है | हिंदी शायरी
"वो तो हुस्न के कातिल है ,
उन्हें फर्क कहा पड़ता है ,
हमारी तो ज़िन्दगी गुजर गई,
उनको भुलाने में ,
उन्हें तो हर रोज़,
इश्क हुआ होता है ।।
शशांक मिश्र ' प्रिय '"
वो तो हुस्न के कातिल है ,
उन्हें फर्क कहा पड़ता है ,
हमारी तो ज़िन्दगी गुजर गई,
उनको भुलाने में ,
उन्हें तो हर रोज़,
इश्क हुआ होता है ।।
शशांक मिश्र ' प्रिय '