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"क़तरा क़तरा कर के,बिखर रहा है दरिया बूंदों से, व्यापार कर रहा है ए राही यहां से, ज़रा रुक कर चल मेरे सामने से,ज़माना गुज़र रहा है. ©Dheeraj Jeengar Lunkarnsar "
क़तरा क़तरा कर के,बिखर रहा है दरिया बूंदों से, व्यापार कर रहा है ए राही यहां से, ज़रा रुक कर चल मेरे सामने से,ज़माना गुज़र रहा है. ©Dheeraj Jeengar Lunkarnsar
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