White फर्क पड़े ना किसी बात से ,
उस ओर रूख मोड़ना चाहती हूॅं ।
दिल दुखता है जिस बात पर ,
उसी पर खुलकर हॅंसना चाहती हूॅं।
ज़माने के निगाहों में कौन खरा उतरा ,
मैं इन निगाहों से बचना चाहती हूॅं।
होश में रहकर तो सभी अपना कहते हैं,
नशे की हालत में कोई कहे मैं सुनना चाहती हूॅं।
मेरी मोहब्बत में तो नुक्स होंगे बहुत ,
मैं उनकी मोहब्बत को परखना चाहती हूॅं।
छेड़कर फ़साना खत्म कर दिया उन्होंने,
मैं इस फसाने को समझना चाहती हूॅं ।
फर्क पड़े ना किसी बात से ,
उस ओर रूख मोड़ना चाहती हूॅं।
दिल दुखता है जिस बात पर,
उसी पर खुलकर हॅंसना चाहती हूॅं
वन्दना यादव ✒️✒️✒️
30/9/24
1:15 p.m
©Vandana Yadav
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