दिल में क्यो इतनी नफ़रत पाले है
आंखो पर क्यो पर्दा डाले है
नफ़रत में क्यो जलना सीख गया
आदत तो नही थी तेरी
फिर क्यो चलना सीख गया
नफ़रत से सजग संसार नहीं चलते
दौलत के भंडारो में प्यार नही पलते
हमने तो जलने वालो के जलते देखा है
अंगारों को राख में बदलते देखा है
जानी मानी हस्तियों को
खाक में मिलते देखा है
यहाँ कोई किसी को नहीं सम्भाले है
अपनी करनी पर हर कोई पर्दा डाले है
दिल में क्यो इतनी नफ़रत पाले है
आंखो पर क्यो पर्दा डाले है
©Mukesh Tyagi
दिल में क्यो इतनी नफ़रत पाले है