चला हूँ चिराग लेकर जरूर फिर भी भीतर अंधेरा ह | हिंदी कविता Video

"चला हूँ चिराग लेकर जरूर फिर भी भीतर अंधेरा हैं। मिटाऊँ कैसे उसे यारा भीतर तो इच्छाओं का डेरा हैं। ©Kamlesh Kandpal "

चला हूँ चिराग लेकर जरूर फिर भी भीतर अंधेरा हैं। मिटाऊँ कैसे उसे यारा भीतर तो इच्छाओं का डेरा हैं। ©Kamlesh Kandpal

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