White कोई दो बुंद के लिए तरस गया, कही पे ज्यादा बर | हिंदी कविता Video

"White कोई दो बुंद के लिए तरस गया, कही पे ज्यादा बरस गया, कहीं पे लोग हर्ष गया कोई दो बुंद के लिए तरस गया ्््््।। ्््् गुमस है कहीं हाहाकार मचा पसीने से लथपथ हुआ दशा टेंशन से सब करते हैं नशा मौसम देख हर देश हंसा,, ्््््कोई दो बुंद के लिए््। ©Sushil Chaudhary "

White कोई दो बुंद के लिए तरस गया, कही पे ज्यादा बरस गया, कहीं पे लोग हर्ष गया कोई दो बुंद के लिए तरस गया ्््््।। ्््् गुमस है कहीं हाहाकार मचा पसीने से लथपथ हुआ दशा टेंशन से सब करते हैं नशा मौसम देख हर देश हंसा,, ्््््कोई दो बुंद के लिए््। ©Sushil Chaudhary

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