मेरा शहर मुझे बेग़ाना सा लगाता है, वो आया दूर दराज

"मेरा शहर मुझे बेग़ाना सा लगाता है, वो आया दूर दराज से जाना पहचाना सा लगता है ।। अब क्या खिदमतदारी करवाये उससे, वो तो हमें दिवाना सा लगता है ।। मेरे शहर में आफ़ताब ने अंगड़ाई सी ली है, खामोशी पर चाँदनी ने चमक ऐसी मारी की अफसाना सा लगता है।। अपनों की बिसात जानकर,गैरो ने दिल में जगह दी इसे, यह मेरा शहर है बरखुरदार! बचपन सा बचकाना सा लगता है।।"

 मेरा शहर मुझे बेग़ाना सा लगाता है,
वो आया  दूर दराज से जाना पहचाना सा लगता है ।।
अब क्या खिदमतदारी करवाये उससे,
वो तो हमें दिवाना सा लगता है ।।
मेरे शहर में आफ़ताब ने अंगड़ाई सी ली है,
खामोशी पर चाँदनी ने चमक ऐसी मारी की अफसाना सा लगता है।।
अपनों की बिसात जानकर,गैरो ने दिल में जगह दी इसे,
 यह मेरा शहर है बरखुरदार! बचपन सा बचकाना सा लगता है।।

मेरा शहर मुझे बेग़ाना सा लगाता है, वो आया दूर दराज से जाना पहचाना सा लगता है ।। अब क्या खिदमतदारी करवाये उससे, वो तो हमें दिवाना सा लगता है ।। मेरे शहर में आफ़ताब ने अंगड़ाई सी ली है, खामोशी पर चाँदनी ने चमक ऐसी मारी की अफसाना सा लगता है।। अपनों की बिसात जानकर,गैरो ने दिल में जगह दी इसे, यह मेरा शहर है बरखुरदार! बचपन सा बचकाना सा लगता है।।

#MeraShehar #klamkaarmanj

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