महबूब के साथ आया वो, करब पर मेरी. कोन कहता है | हिंदी शायरी

"महबूब के साथ आया वो, करब पर मेरी. कोन कहता है दफ़नाये को जलया नहीं जाता: आखे भी खोलनी पड़ता है, रोशनी पाने के लिए सिरफ सुबा होने भर से अंधेरा नहीं jata...... ©Arya Ji Arya Ji"

 महबूब के साथ आया वो, करब पर मेरी.
कोन कहता है
            दफ़नाये को जलया नहीं जाता:
आखे भी खोलनी पड़ता है, रोशनी पाने के लिए
सिरफ सुबा होने भर से अंधेरा नहीं jata......

©Arya Ji Arya Ji

महबूब के साथ आया वो, करब पर मेरी. कोन कहता है दफ़नाये को जलया नहीं जाता: आखे भी खोलनी पड़ता है, रोशनी पाने के लिए सिरफ सुबा होने भर से अंधेरा नहीं jata...... ©Arya Ji Arya Ji

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#sunrays

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