हैरान हूं मैं परेशान हूं मैं,
तुझे कैसे बताऊं क्यों गुमनाम हूं मैं।
कौन हूं क्या हूं मालूम नहीं है,
ना जाने ये कैसी पहचान हूं मैं।
समझता नहीं है कोई भी मुझे,
ना जाने क्यों सबसे अनजान हूं मैं।
बीती रातें सबक दे रही है मुझे,
क्यों बना हूं ऐसे लाश सा बेजान मैं।
©chauhanpoetryhub
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