वह गर्म धुप में बरगद के पेड़ सा है।
और वह तूफ़ान मै पक्के मकान सा है।
सावन की भीषण बरसात में हमरे सिर पर वह छात्रों छाया सा है ।
हर मुसीबत मै मेरी ढाल सा है ।
अपने आप को झुलसा कर भी मेरी हर जरूरत पूरे करने वाला वह कोई और नहीं
मेरे बापु का साया है
मेरे बापु का साया है ।।।।।।।
------ by Silyana singh
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