अल्फाज़ हैं मगर, वो हमें तोड़ती गयी। और हम बिखर | हिंदी शायरी

"अल्फाज़ हैं मगर, वो हमें तोड़ती गयी। और हम बिखर कर अल्फज़ों मे सिमटते गए।। ©Alok krishya"

 अल्फाज़ हैं मगर, 

वो हमें तोड़ती गयी।


और हम बिखर कर अल्फज़ों मे सिमटते गए।।

©Alok krishya

अल्फाज़ हैं मगर, वो हमें तोड़ती गयी। और हम बिखर कर अल्फज़ों मे सिमटते गए।। ©Alok krishya

#alfaz

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