सम्बन्धों के बल्ब में ,विश्वासों के तार । धारा हो | हिंदी कविता

"सम्बन्धों के बल्ब में ,विश्वासों के तार । धारा हो शुचि प्रेम की , हृदय करे उजियार ॥ जय श्री कृष्ण कृष्ण कुमार मिश्र 'किशन ' ©krishna"

 सम्बन्धों के बल्ब में ,विश्वासों के तार ।
धारा हो शुचि प्रेम की , हृदय करे उजियार ॥
जय श्री कृष्ण 
कृष्ण कुमार मिश्र 'किशन '

©krishna

सम्बन्धों के बल्ब में ,विश्वासों के तार । धारा हो शुचि प्रेम की , हृदय करे उजियार ॥ जय श्री कृष्ण कृष्ण कुमार मिश्र 'किशन ' ©krishna

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