"पग बढ़ाओ मेरे लाल
मार्ग खुद खुल जाएंगे"
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©kumar shivam hindustani
क्यूँ होता भयभीत तू
किस उलझन का मनमीत तू
क्या बीते कल के बर्बादी में
या आते कल के आबादी में
सब मिट्टी के जाल है
समय के जल में घुल जाएंगे
पग बढ़ाओ मेरे लाल
मार्ग खुद खुल जाएंगे