कभी कभी हमारे पास रंज करने की इतनी वजह होती हैं कि | हिंदी कविता

"कभी कभी हमारे पास रंज करने की इतनी वजह होती हैं कि हम उन सब को जी भर सोच लेने के बाद बस ख़ामोश हो जाते हैं सिर्फ इसलिए नहीं कि हम समझ नहीं पाते किस बात का शोक मनाया जाए किस बात पर रंज किया जाए इसलिए कि ये एक अंतहीन हिस्सा हो गया है हमारी ज़िंदगी का …। ©हिमांशु Kulshreshtha"

 कभी कभी हमारे पास
रंज करने की
इतनी वजह होती हैं
कि हम उन सब को जी भर
सोच लेने के बाद
बस ख़ामोश हो जाते हैं
सिर्फ इसलिए नहीं
कि हम समझ नहीं पाते
किस बात का शोक मनाया जाए
किस बात पर रंज किया जाए
इसलिए कि
ये एक अंतहीन हिस्सा हो गया है
हमारी ज़िंदगी का …।

©हिमांशु Kulshreshtha

कभी कभी हमारे पास रंज करने की इतनी वजह होती हैं कि हम उन सब को जी भर सोच लेने के बाद बस ख़ामोश हो जाते हैं सिर्फ इसलिए नहीं कि हम समझ नहीं पाते किस बात का शोक मनाया जाए किस बात पर रंज किया जाए इसलिए कि ये एक अंतहीन हिस्सा हो गया है हमारी ज़िंदगी का …। ©हिमांशु Kulshreshtha

कभी-कभी

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