कोविड-19 जैसे अदृश्य महाशत्रु ने जिस प्रकार से विश

"कोविड-19 जैसे अदृश्य महाशत्रु ने जिस प्रकार से विश्व को लाचार कर दिया है वहीं कुछ देशों ने शीघ्रता दिखाते हुए कोविड-19 को अपने देश में आने से भी रोकने में सफल हो गये। हमारे भारत में तो थोड़ा सा देरी हो गयी, लेकिन उसके बाद सरकार और जनता ने जो सक्रियता दिखायी वो काबिले तारीफ है। हाँ! कुछ लोग, अज्ञानता के चलते इस अदृश्य महाशत्रु का ढाल बनने का काम किया है। जिससे वह शत्रु और बलवान हो गया है। वो अपना साम्राज्य भारत में भी फैलाता नज़र आने लगा है। लोग व्यथित हैं चिंतित हैं एक-दूसरे पर दोषारोपण के साथ भी सरकार के द्वारा जारी की गयी गाइडलाईन का पालन भी कर रहे हैं। सरकार के साथ जनता को भी देश की चिंता है। यहाँ के लोगों का धैर्य तो अभी साथ दे रहा है इस धैर्य के रहते ही अगर हम अपने लक्ष्य को पाने में सफल हो जाते हैं तो इस महाशत्रु को काबू में ला सकते हैं। जल्द ही इस अदृश्य महायुद्ध से मानव निजात पायेंगे, यही ईश्वर से कामना है। -अलका शुक्ला *साहब! आपकी निष्फिकरी ने यहाँ हालात क्या कर दिया। कुछ और लोगों ने फिर ‘आग पे घी’ का काम कर दिया।। *अगर न होती राजनीति की अति पराकाष्ठा यहाँ। कोविड-19 का विषाणु इस तरह न फैलता यहाँ।। *मध्य प्रदेश में शिवराज के राज का न लालच होता। तो लापरवाही का न केंद्र सरकार पर इल्जाम होता।। *ट्रम्प के महा स्वागत का यहाँ जो महान इंतेजाम था। वो दौर भी संक्रमण का था, ये सरकार पे इल्जाम है।। *बिना होमवर्क के लगाया गया लॉकडाउन। समस्याओं का हुजूम तो यहाँ आना ही था ।। *इस विपदा में सरकार कर रही है जनता के लिये बहुत कुछ अब। काश! पहले ही सोच लेती तो जल्द मात देते महासंक्रमण को हम।। *कोविड-19 का प्रभाव विश्व के नक्शे में फैल रहा था लगातार। देश में चल रहे थे आयोजनों पे आयोजन समारोह पे समारोह।। *हमने दिखाया एकजुटता का परिचय गजब। विश्व ने सलाम किया इस जज्बे को तब।। *भारत ने थाली बजाया, दीपक जलाया। इस जंग के कर्मवीरों का हौसला बढ़ाया।। *बहुत देर तो नहीं थी लेकिन कुछ लोग अदृश्य शत्रु की ढाल बन गये। यह महायुद्ध अब महाघातक हो चला, अब राम ही विश्व पर कृपा करें।। *कुछ लोगों को नहीं भाता देश हित और मानव हित। कट्टरता के चलते उन्हें सदा ही भाता है स्वार्थ हित।। *चीन की लापरवाही तो है सरासर यहाँ। जल्द कर देता सचेत, बच जाता जहाँ।। *बहुत हो गयी बर्बादी, मानव खड़ा है लाचार बेबस। 'ऐ अदृश्य शत्रु' अब तो विराम का शंखनाद कर ।।"

 कोविड-19 जैसे अदृश्य महाशत्रु ने जिस प्रकार से विश्व को लाचार कर दिया है वहीं कुछ देशों ने शीघ्रता दिखाते हुए कोविड-19 को अपने देश में आने से भी रोकने में सफल हो गये। हमारे भारत में तो थोड़ा सा देरी हो गयी, लेकिन उसके बाद सरकार और जनता ने जो सक्रियता दिखायी वो काबिले तारीफ है। हाँ! कुछ लोग, अज्ञानता के चलते इस अदृश्य महाशत्रु का ढाल बनने का काम किया है। जिससे वह शत्रु और बलवान हो गया है। वो अपना साम्राज्य भारत में भी फैलाता नज़र आने लगा है। लोग व्यथित हैं चिंतित हैं एक-दूसरे पर दोषारोपण के साथ भी सरकार के द्वारा जारी की गयी गाइडलाईन का पालन भी कर रहे हैं। सरकार के साथ जनता को भी देश की चिंता है। यहाँ के लोगों का धैर्य तो अभी साथ दे रहा है इस धैर्य के रहते ही अगर हम अपने लक्ष्य को पाने में सफल हो जाते हैं तो इस महाशत्रु को काबू में ला सकते हैं। जल्द ही इस अदृश्य महायुद्ध से मानव निजात पायेंगे, यही ईश्वर से कामना है।                                

                                                  -अलका शुक्ला





*साहब! आपकी निष्फिकरी ने यहाँ हालात क्या कर दिया।

 कुछ और लोगों ने फिर ‘आग पे घी’ का काम कर दिया।।

 

*अगर न होती राजनीति की अति पराकाष्ठा यहाँ।

 कोविड-19 का विषाणु इस तरह न फैलता यहाँ।।

 

*मध्य प्रदेश में शिवराज के राज का न लालच होता।

 तो लापरवाही का न केंद्र सरकार पर इल्जाम होता।।

 

*ट्रम्प के महा स्वागत का यहाँ जो महान इंतेजाम था।

 वो दौर भी संक्रमण का था, ये सरकार पे इल्जाम है।।

 

*बिना होमवर्क के लगाया गया लॉकडाउन।

 समस्याओं का हुजूम तो यहाँ आना ही था ।।

 

*इस विपदा में सरकार कर रही है जनता के लिये बहुत कुछ अब।

 काश! पहले ही सोच लेती तो जल्द मात देते महासंक्रमण को हम।।

 

*कोविड-19 का प्रभाव विश्व के नक्शे में फैल रहा था लगातार।

 देश में चल रहे थे आयोजनों पे आयोजन समारोह पे समारोह।।

 

*हमने दिखाया एकजुटता का परिचय गजब।

 विश्व ने सलाम किया इस जज्बे को तब।।

 

*भारत ने थाली बजाया, दीपक जलाया।

 इस जंग के कर्मवीरों का हौसला बढ़ाया।।

 

*बहुत देर तो नहीं थी लेकिन कुछ लोग अदृश्य शत्रु की ढाल बन गये।

 यह महायुद्ध अब महाघातक हो चला, अब राम ही विश्व पर कृपा करें।।

 

*कुछ लोगों को नहीं भाता देश हित और मानव हित।

 कट्टरता के चलते उन्हें सदा ही भाता है स्वार्थ हित।।

 

*चीन की लापरवाही तो है सरासर यहाँ।

 जल्द कर देता सचेत, बच जाता जहाँ।।



*बहुत हो गयी बर्बादी, मानव खड़ा है लाचार बेबस।

  'ऐ अदृश्य शत्रु' अब तो विराम का शंखनाद कर ।।

कोविड-19 जैसे अदृश्य महाशत्रु ने जिस प्रकार से विश्व को लाचार कर दिया है वहीं कुछ देशों ने शीघ्रता दिखाते हुए कोविड-19 को अपने देश में आने से भी रोकने में सफल हो गये। हमारे भारत में तो थोड़ा सा देरी हो गयी, लेकिन उसके बाद सरकार और जनता ने जो सक्रियता दिखायी वो काबिले तारीफ है। हाँ! कुछ लोग, अज्ञानता के चलते इस अदृश्य महाशत्रु का ढाल बनने का काम किया है। जिससे वह शत्रु और बलवान हो गया है। वो अपना साम्राज्य भारत में भी फैलाता नज़र आने लगा है। लोग व्यथित हैं चिंतित हैं एक-दूसरे पर दोषारोपण के साथ भी सरकार के द्वारा जारी की गयी गाइडलाईन का पालन भी कर रहे हैं। सरकार के साथ जनता को भी देश की चिंता है। यहाँ के लोगों का धैर्य तो अभी साथ दे रहा है इस धैर्य के रहते ही अगर हम अपने लक्ष्य को पाने में सफल हो जाते हैं तो इस महाशत्रु को काबू में ला सकते हैं। जल्द ही इस अदृश्य महायुद्ध से मानव निजात पायेंगे, यही ईश्वर से कामना है। -अलका शुक्ला *साहब! आपकी निष्फिकरी ने यहाँ हालात क्या कर दिया। कुछ और लोगों ने फिर ‘आग पे घी’ का काम कर दिया।। *अगर न होती राजनीति की अति पराकाष्ठा यहाँ। कोविड-19 का विषाणु इस तरह न फैलता यहाँ।। *मध्य प्रदेश में शिवराज के राज का न लालच होता। तो लापरवाही का न केंद्र सरकार पर इल्जाम होता।। *ट्रम्प के महा स्वागत का यहाँ जो महान इंतेजाम था। वो दौर भी संक्रमण का था, ये सरकार पे इल्जाम है।। *बिना होमवर्क के लगाया गया लॉकडाउन। समस्याओं का हुजूम तो यहाँ आना ही था ।। *इस विपदा में सरकार कर रही है जनता के लिये बहुत कुछ अब। काश! पहले ही सोच लेती तो जल्द मात देते महासंक्रमण को हम।। *कोविड-19 का प्रभाव विश्व के नक्शे में फैल रहा था लगातार। देश में चल रहे थे आयोजनों पे आयोजन समारोह पे समारोह।। *हमने दिखाया एकजुटता का परिचय गजब। विश्व ने सलाम किया इस जज्बे को तब।। *भारत ने थाली बजाया, दीपक जलाया। इस जंग के कर्मवीरों का हौसला बढ़ाया।। *बहुत देर तो नहीं थी लेकिन कुछ लोग अदृश्य शत्रु की ढाल बन गये। यह महायुद्ध अब महाघातक हो चला, अब राम ही विश्व पर कृपा करें।। *कुछ लोगों को नहीं भाता देश हित और मानव हित। कट्टरता के चलते उन्हें सदा ही भाता है स्वार्थ हित।। *चीन की लापरवाही तो है सरासर यहाँ। जल्द कर देता सचेत, बच जाता जहाँ।। *बहुत हो गयी बर्बादी, मानव खड़ा है लाचार बेबस। 'ऐ अदृश्य शत्रु' अब तो विराम का शंखनाद कर ।।

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