होंसलो की पूंजी से हमने कुछ पंख खरीद लिए! सफर को श | हिंदी शायरी

"होंसलो की पूंजी से हमने कुछ पंख खरीद लिए! सफर को शाश्वत समझ और घर से चल दिए। • संदिग्ध ©Shreyashkumar Parekh"

 होंसलो की पूंजी से हमने कुछ पंख खरीद लिए!
सफर को शाश्वत समझ और घर से चल दिए।

• संदिग्ध

©Shreyashkumar Parekh

होंसलो की पूंजी से हमने कुछ पंख खरीद लिए! सफर को शाश्वत समझ और घर से चल दिए। • संदिग्ध ©Shreyashkumar Parekh

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