Love मेरे जख्म पर भी मरहम की कोई सतह दे। मेरे साथ | हिंदी कविता

"Love मेरे जख्म पर भी मरहम की कोई सतह दे। मेरे साथ भी हमदम अपना कोई सफर दे। के खूब तड़पा हूँ और बहुत तड़पा हूँ यहाँ। कोई मेरे अधर पर अपना कोमल‌ अधर दे। ©Neeraj Neer"

 Love मेरे जख्म पर भी मरहम की कोई सतह दे।
मेरे साथ भी हमदम अपना कोई  सफर दे।
के खूब तड़पा हूँ और बहुत तड़पा हूँ यहाँ। 
कोई मेरे अधर पर अपना कोमल‌ अधर दे।

©Neeraj Neer

Love मेरे जख्म पर भी मरहम की कोई सतह दे। मेरे साथ भी हमदम अपना कोई सफर दे। के खूब तड़पा हूँ और बहुत तड़पा हूँ यहाँ। कोई मेरे अधर पर अपना कोमल‌ अधर दे। ©Neeraj Neer

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