मोहब्बत का अपना ही एक फसाना है, खुद ही रूठ के रूठ | हिंदी कविता

"मोहब्बत का अपना ही एक फसाना है, खुद ही रूठ के रूठी हुई प्रेमिका को मनाना है। उसका वो एक खत बार बार पढ़ते जाना है, अपनी प्रेमिका संग इस प्रेमी को जीवन के अंतिम मोड़ तक जाना है। राह लंबी है पर दूर तक जाना है, उसकी आंचल की छाव में थक के फिर सो जाना है। उसके नयन रूपी सागर में फिर से गोते लगाना है, इस प्रेमी को अपनी प्रेमिका से एक बार फिर से प्रेम करना है। ©Ashish Yadav"

 मोहब्बत का अपना ही एक फसाना  है,
खुद ही रूठ के रूठी हुई प्रेमिका को मनाना है।
उसका वो एक खत बार बार पढ़ते जाना है,
अपनी प्रेमिका संग इस प्रेमी को जीवन के अंतिम मोड़ तक जाना है।
राह लंबी है पर दूर तक जाना है,
उसकी आंचल की छाव में थक के फिर सो जाना है।
उसके नयन रूपी सागर में फिर से गोते लगाना है,
इस प्रेमी को अपनी प्रेमिका से एक बार फिर से प्रेम करना है।

©Ashish Yadav

मोहब्बत का अपना ही एक फसाना है, खुद ही रूठ के रूठी हुई प्रेमिका को मनाना है। उसका वो एक खत बार बार पढ़ते जाना है, अपनी प्रेमिका संग इस प्रेमी को जीवन के अंतिम मोड़ तक जाना है। राह लंबी है पर दूर तक जाना है, उसकी आंचल की छाव में थक के फिर सो जाना है। उसके नयन रूपी सागर में फिर से गोते लगाना है, इस प्रेमी को अपनी प्रेमिका से एक बार फिर से प्रेम करना है। ©Ashish Yadav

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