गलतियां फिर चाहे तुम जितनी भी कर लो। पर साथ में झ | हिंदी शायरी

"गलतियां फिर चाहे तुम जितनी भी कर लो। पर साथ में झेलने का इन्हें माद्दा भी रखो । क्यों कि मनमानी अपनो मे चलती है मेरे दोस्त । कर्ज लेने है तो चुकाने की हिम्मत भी तो हो । ©Vickram"

 गलतियां फिर चाहे तुम जितनी भी कर 
लो।
पर साथ में झेलने का इन्हें माद्दा भी 
रखो ।
क्यों कि मनमानी अपनो मे चलती है मेरे
दोस्त ।
कर्ज लेने है तो चुकाने की हिम्मत भी तो
 हो ।

©Vickram

गलतियां फिर चाहे तुम जितनी भी कर लो। पर साथ में झेलने का इन्हें माद्दा भी रखो । क्यों कि मनमानी अपनो मे चलती है मेरे दोस्त । कर्ज लेने है तो चुकाने की हिम्मत भी तो हो । ©Vickram

हिम्मत भी चाहिए,,,,

#rays

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