काश,जिंदगी सचमुच किताब होती पढ़ सकती मैं कि आगे क | हिंदी Poetry Video

"काश,जिंदगी सचमुच किताब होती पढ़ सकती मैं कि आगे क्या होगा? क्या पाऊँगी मैं और क्या दिल खोयेगा? कब थोड़ी खुशी मिलेगी, कब दिल रोयेगा? काश जिदंगी सचमुच किताब होती, फाड़ सकती मैं उन लम्हों को जिन्होने मुझे रुलाया है.. जोड़ती कुछ पन्ने जिनकी यादों ने मुझे हँसाया है... खोया और कितना पाया है? हिसाब तो लगा पाती कितना काश जिदंगी सचमुच किताब होती, वक्त से आँखें चुराकर पीछे चली जाती.. टूटे सपनों को फिर से अरमानों से सजाती कुछ पल के लिये मैं भी मुस्कुराती, काश, जिदंगी सचमुच किताब होती ©vishakha Varun "

काश,जिंदगी सचमुच किताब होती पढ़ सकती मैं कि आगे क्या होगा? क्या पाऊँगी मैं और क्या दिल खोयेगा? कब थोड़ी खुशी मिलेगी, कब दिल रोयेगा? काश जिदंगी सचमुच किताब होती, फाड़ सकती मैं उन लम्हों को जिन्होने मुझे रुलाया है.. जोड़ती कुछ पन्ने जिनकी यादों ने मुझे हँसाया है... खोया और कितना पाया है? हिसाब तो लगा पाती कितना काश जिदंगी सचमुच किताब होती, वक्त से आँखें चुराकर पीछे चली जाती.. टूटे सपनों को फिर से अरमानों से सजाती कुछ पल के लिये मैं भी मुस्कुराती, काश, जिदंगी सचमुच किताब होती ©vishakha Varun

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