परिस्थितियां " आज परीक्षा देने के बाद लौट ही रहा

"" परिस्थितियां " आज परीक्षा देने के बाद लौट ही रहा था कि बरसात होने लगी भोपाल का मौसम ऎसा की मानो शिमला या कश्मीर में हो शरद हवाएं, रिमझिम बारिश, कोहरा इतना की मानो बादल धरती से मिलने आए हो । मैंने बाइक पास में खड़ी की और चाय की टपरी पर सहारा लिया और मोबाइल चलाते चलाते चाय पीने लगा । तभी किसी का स्टेट्स देखा - हर लम्हे को सुकून कर देती है ये चाय दिसंबर को जून कर देती है । बरसात अभी भी रुकी नहीं थी और देखते ही देखते चाय की टपरी पर इतने लोग जमा हो गए की पैर रखने को भी जगह ना मिले तभी एक बस रोड से गुजर रही थी और ओवरटेक करने के चक्कर में रोड से नीचे उतार गई तभी उसी चाय की दुकान पर काम करने वाला दश से बारह साल का लड़का बोला वो देखो बस पलटने से बार बार बची बरना इस नागपुर हॉस्पिटल के तो वारे-न्यारे हो जाते हो जाते और सब अपनी ही दुकान पर चाय और नाश्ता करने आते और चाय वाले भैया ने भी समर्थन में सिर हिलाया और हंसने लगे मैने मन ही मन सोचा कितनी गलत बात कह रहा है ये लड़का और कोई कुछ कह क्यों नहीं रहा इसको और हम लोग तो जानते नहीं है इसको लेकिन चाय वाले भैया को तो कहना चाहिए कुछ इसको, वो तो बड़े है समझते है उल्टा वह तो उस लड़के का साथ दे रहे है लगभग आधे घण्टे बाद बरसात रुकी और जब में घर जाने लगा तभी देखा की वह लड़का एक कुत्ते को पोहा खिला रहा है जो पोहा बच गया था उस लड़के का पेट भर जाने के बाद जैसे मानो उस लड़के को पता हो की इस कुत्ते को क्या चाहिए । - अजय वर्मा"

 " परिस्थितियां "
आज परीक्षा देने के बाद लौट ही रहा था कि बरसात होने लगी भोपाल का मौसम ऎसा की मानो शिमला या कश्मीर में हो शरद हवाएं,  रिमझिम बारिश, कोहरा इतना की मानो बादल धरती से मिलने आए हो । मैंने बाइक पास में खड़ी की और चाय की टपरी पर सहारा लिया और मोबाइल चलाते चलाते चाय पीने लगा ।                              तभी किसी का स्टेट्स देखा -
 हर लम्हे को सुकून कर देती है 
ये चाय दिसंबर को जून कर देती है ।
बरसात अभी भी रुकी नहीं थी और देखते ही देखते चाय की टपरी पर इतने लोग जमा हो गए की पैर रखने को भी जगह ना मिले तभी एक बस रोड से गुजर रही थी और ओवरटेक करने के चक्कर में रोड से नीचे उतार गई तभी उसी चाय की दुकान पर काम करने वाला दश से बारह साल का लड़का बोला वो देखो बस पलटने से बार बार बची बरना इस नागपुर हॉस्पिटल के तो वारे-न्यारे हो जाते हो जाते और सब अपनी ही दुकान पर चाय और नाश्ता करने आते और चाय वाले भैया ने भी समर्थन में सिर हिलाया और हंसने लगे मैने मन ही मन सोचा कितनी गलत बात कह रहा है ये लड़का और कोई कुछ कह क्यों नहीं रहा इसको और हम लोग तो जानते नहीं है इसको लेकिन चाय वाले भैया को तो कहना चाहिए कुछ इसको, वो तो बड़े है समझते है उल्टा वह तो उस लड़के का साथ दे रहे है लगभग आधे घण्टे बाद बरसात रुकी और जब में घर जाने लगा तभी देखा की वह लड़का एक कुत्ते को पोहा खिला रहा है जो पोहा बच गया था उस लड़के का पेट भर जाने के बाद जैसे मानो उस लड़के को पता हो की इस कुत्ते को क्या चाहिए । 
                                                            - अजय वर्मा

" परिस्थितियां " आज परीक्षा देने के बाद लौट ही रहा था कि बरसात होने लगी भोपाल का मौसम ऎसा की मानो शिमला या कश्मीर में हो शरद हवाएं, रिमझिम बारिश, कोहरा इतना की मानो बादल धरती से मिलने आए हो । मैंने बाइक पास में खड़ी की और चाय की टपरी पर सहारा लिया और मोबाइल चलाते चलाते चाय पीने लगा । तभी किसी का स्टेट्स देखा - हर लम्हे को सुकून कर देती है ये चाय दिसंबर को जून कर देती है । बरसात अभी भी रुकी नहीं थी और देखते ही देखते चाय की टपरी पर इतने लोग जमा हो गए की पैर रखने को भी जगह ना मिले तभी एक बस रोड से गुजर रही थी और ओवरटेक करने के चक्कर में रोड से नीचे उतार गई तभी उसी चाय की दुकान पर काम करने वाला दश से बारह साल का लड़का बोला वो देखो बस पलटने से बार बार बची बरना इस नागपुर हॉस्पिटल के तो वारे-न्यारे हो जाते हो जाते और सब अपनी ही दुकान पर चाय और नाश्ता करने आते और चाय वाले भैया ने भी समर्थन में सिर हिलाया और हंसने लगे मैने मन ही मन सोचा कितनी गलत बात कह रहा है ये लड़का और कोई कुछ कह क्यों नहीं रहा इसको और हम लोग तो जानते नहीं है इसको लेकिन चाय वाले भैया को तो कहना चाहिए कुछ इसको, वो तो बड़े है समझते है उल्टा वह तो उस लड़के का साथ दे रहे है लगभग आधे घण्टे बाद बरसात रुकी और जब में घर जाने लगा तभी देखा की वह लड़का एक कुत्ते को पोहा खिला रहा है जो पोहा बच गया था उस लड़के का पेट भर जाने के बाद जैसे मानो उस लड़के को पता हो की इस कुत्ते को क्या चाहिए । - अजय वर्मा

short story by Ajay varma aj

लघु कथा अजय वर्मा

#Grassland

People who shared love close

More like this

Trending Topic