तरुवर से कर देखिए , होते सच्चे मित्र । देख बदलते व | हिंदी कविता

"तरुवर से कर देखिए , होते सच्चे मित्र । देख बदलते वे नहीं , अपना कभी चरित्र ॥ अपना कभी चरित्र ,गिराएँ भी तो कैसे । उपकारी के वंश ,नहीं हैं ऐसे वैसे ॥ देते पल पल साथ , लगाएँ अपने कर से । 'किशन ' न होती हानि ,मित्रता में तरुवर से ॥ जय श्री कृष्ण ©krishna"

 तरुवर से कर देखिए , होते सच्चे मित्र ।
देख बदलते वे नहीं , अपना कभी चरित्र ॥
अपना कभी चरित्र ,गिराएँ भी तो कैसे ।
उपकारी के वंश ,नहीं हैं ऐसे वैसे ॥
 देते पल पल साथ , लगाएँ अपने कर से ।
'किशन ' न होती हानि ,मित्रता में तरुवर से ॥
जय श्री कृष्ण

©krishna

तरुवर से कर देखिए , होते सच्चे मित्र । देख बदलते वे नहीं , अपना कभी चरित्र ॥ अपना कभी चरित्र ,गिराएँ भी तो कैसे । उपकारी के वंश ,नहीं हैं ऐसे वैसे ॥ देते पल पल साथ , लगाएँ अपने कर से । 'किशन ' न होती हानि ,मित्रता में तरुवर से ॥ जय श्री कृष्ण ©krishna

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