ज़रूरी है एक एक ईंट रखकर उसे सीमेंट और रेत से जोड़ते है
तब जाकर एक दीवार बनती है चार दीवारे मिलकर
एक छत सम्हालती है तब जाकर एक घर बनता है,इसी तरह परिवार छोटे बड़े सभी जनों से मिलकर बनता है।
परिवार में बड़े मिलकर दीवारो काम करते है और छोटे ईंटों का तब जाकर परिवार की छत सम्हलती है रेत और सीमेंट सभी परिवार के सदस्यों की भावनाएं है जो एक दूसरे से सबको जोडके रखती है अगर किसी की भी भावनाएं आहत होती है तो परिवार की छत हिलने लगती है इसमें सबका महत्व और जिम्मेदारी बराबर की होती है तब जाकर कहीं परिवार बसते है खुशहाल रहते है आप सब भी अपने घर की दीवारों की तरह अपनी जिम्मेदारी निभाये फिर देखे कोई परिवार कभी नही टूटेगा।
(चाहत)
©Chahat Kushwah