सागर में फसा इक माझी लड़ता रहा तूफ़ानों से दो हां | हिंदी कविता

"सागर में फसा इक माझी लड़ता रहा तूफ़ानों से दो हांथों से पतवार चलाता डरता नहीं डराने से लहरों की वो मार झेलता अपनी कश्ती को पार लगाता वो लहरों की हर चाल समझता फिर भी अपना प्यार निभाता तभी वो सागर में नाव चलाता ©Poonam Singh"

 सागर में फसा इक माझी
लड़ता रहा तूफ़ानों से

दो हांथों से पतवार चलाता
डरता नहीं डराने से 

लहरों की वो मार झेलता
अपनी कश्ती को पार लगाता 

वो लहरों की हर चाल समझता 
फिर भी अपना प्यार निभाता
तभी वो सागर में नाव चलाता

©Poonam Singh

सागर में फसा इक माझी लड़ता रहा तूफ़ानों से दो हांथों से पतवार चलाता डरता नहीं डराने से लहरों की वो मार झेलता अपनी कश्ती को पार लगाता वो लहरों की हर चाल समझता फिर भी अपना प्यार निभाता तभी वो सागर में नाव चलाता ©Poonam Singh

सागर में फसा इक माझी
लड़ता रहा तूफ़ानों से

दो हांथों से पतवार चलाता
डरता नहीं डराने से

लहरों की वो मार झेलता
अपनी कश्ती को पार लगाता

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