अनमोल है रिश्ते सभी बस सींचते रहो नेह की बस डोर | हिंदी कविता

"अनमोल है रिश्ते सभी बस सींचते रहो नेह की बस डोर पकड़ खींचते रहो छूटने न पाए कहीं बंध प्यार का प्यार की बारिश नहा भीगते रहो राजेश श्रीवास्तव राज ©Rajesh Srivastava"

 अनमोल है रिश्ते सभी बस सींचते रहो
नेह की बस डोर      पकड़ खींचते रहो
छूटने न पाए कहीं          बंध प्यार का
प्यार की बारिश नहा         भीगते रहो

राजेश श्रीवास्तव राज

©Rajesh Srivastava

अनमोल है रिश्ते सभी बस सींचते रहो नेह की बस डोर पकड़ खींचते रहो छूटने न पाए कहीं बंध प्यार का प्यार की बारिश नहा भीगते रहो राजेश श्रीवास्तव राज ©Rajesh Srivastava

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