तेरा नाम अब जुवां से लिया जाता नहीं
धुंधले पड़े अक्श को फिर से उभारा जाता नहीं
रातों को अब आंखों में गुजारा जाता नहीं
यादों में किसी के तिल तिल मर कर
खुद को इतना भी सताया जाता नहीं
बहुत बार लिखा और मिटाया
दिल को अपने जाने कितनी बार मैंने रुलाया
कैसे लिखूं अब दिल की बात
हाथों को कलम अब उठाया जाता नहीं
©Shalinee Srivastava
#outofsight