#रत्नाकर कालोनी
पेज-102
कन्या के पिता ने अपनी लाड़ली के आंसू पोंछे और उससे कहा-आज से तुम्हारा ससुराल ही तुम्हारा असली घर है... तुम्हें ससुराल में तिल भर भी कष्ट हुआ तो तुम्हारे माता पिता जी नहीं पायेंगे... लेकिन तुम्हारे कारण कभी तुम्हारे ससुराल को जरा भी दुःख हुआ तो समझ लेना तुम्हारे माता पिता जीते जी मर जायेंगे...!
तुम्हारे सुखी दाम्पत्य जीवन के लिये अंतिम स्वांस हम दोनों की प्रार्थनाएं तुम्हारे साथ रहेंगी..
अब जाओ मेरे बेटे... सदा सुखी रहो...!
पिता के बाद वही कुछ दिन पहले का मुंहबोला भाई खड़ा था...जिसे देखकर मनीषा ने कहा-
अपने माता पिता को आपको सौंपकर निश्चिन्त होकर जा रही हूं... इस विश्वास के साथ कि हम तीनों की दुनिया केवल आप हो..! और इतना कहकर मनीषा अपने भैया के गले से लिपट गई...
भैया ने उसके सर पर हाथ रखकर कहा-🙏🙇♂️(विडिओ)