तृप्ति की कलम से
एक बहुत पुरानी रचना अपनी डायरी से
विषय-आंसू
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मेरे उदास जीवन का
हिस्सा हैं मेरे आंसू।
मेरे अकेलेपन के
साथी हैं मेरे आंसू।
हर गहरे जख्म पर मरहम
बन जाते हैं मेरे आंसू।
आँधी जलाती है जीवन को
तो शीतलता दे जाते हैं मेरे आंसू।
कोई समझे न समझे मेरे भावों को
झलक कर सब समझ जाते हैं मेरे आंसू।
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स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री
लखीमपुर खीरी
उत्तरप्रदेश
©tripti agnihotri
आंसू