फुर्सत मिले कभी तो, नफरतों की आग कुछ इस तरह बुझाओ | हिंदी Life

"फुर्सत मिले कभी तो, नफरतों की आग कुछ इस तरह बुझाओ कि उस शक्स की अच्छाई याद कर नफ़रत भूल जाओ।"

 फुर्सत मिले कभी तो, नफरतों की आग कुछ इस तरह बुझाओ कि उस शक्स की अच्छाई याद कर नफ़रत भूल जाओ।

फुर्सत मिले कभी तो, नफरतों की आग कुछ इस तरह बुझाओ कि उस शक्स की अच्छाई याद कर नफ़रत भूल जाओ।

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