वो सुबह के सपनें में आकर मुझे अब भी जगाती है! नजदी | English Sad

"वो सुबह के सपनें में आकर मुझे अब भी जगाती है! नजदीक होने का एहसास दिलाकर वो मुझे अपना बनाती है! जानती है की दुर रहना मुमकिन नहीं है मुझसे! पर दुर होने का सपना दिखाकर वो मुझे डराती है!! इतना तो पता है कि मेरे जैसा प्यार उससे कोई नहीं कर सकता! मेरे बराबर दिल से उसपे कोई नहीं मर सकता!! पर वक्त की धुंध अभी छंटी नहीं है! किस्मत की लकीरें भी अभी बदली नहीं हैं! की चेहरे पे उसके अब मुस्कान कोई लाता होगा! की अब सुरत पे उसके अपनी पहचान कोई बनाता होगा! गुजरे हुए रास्ते का मुसाफिर सा हुं अब मैं! तेरे जिंदगी में बस एक बिछड़ा आशिक सा हुं अब मैं!! यूं सपनें दिखाकर नजदिकियां न दिखाओ ना! युं चाहत जताकर मुझे अब अपना बनाओ ना! गर वक्त रहते तुम मुझे काश की समझ पाते! दिए गए समय में मुझे अपना बना पाते!! तो आज सपनों की बातें ये हकीकत की होती! तेरे गोदी में भी मेरी गुड़िया कोई रोती! अब जाने दो छोड़ो ये दिलों के फासले रहने दो! ये चाहतों पर लिए गए तुम्हारे फैसले अब रहने दो! हम हैं मुसाफिर रास्तों के दुर तुमसे जाएंगे! इन फासलों के बंदियों मे़ दुर तुमसे हो जाएंगे दुर तुमसे हो जाएंगे!2😭😭😭 ©Prakash Vats Dubey"

 वो सुबह के सपनें में आकर मुझे अब भी जगाती है!
नजदीक होने का एहसास दिलाकर वो मुझे अपना बनाती है!
जानती है की दुर रहना मुमकिन नहीं है मुझसे!
पर दुर होने का सपना दिखाकर वो मुझे डराती है!!

इतना तो पता है कि मेरे जैसा प्यार उससे कोई नहीं कर सकता!
मेरे बराबर दिल से उसपे कोई नहीं मर सकता!!
पर वक्त की धुंध अभी छंटी नहीं है!
किस्मत की लकीरें भी अभी बदली नहीं हैं!

की चेहरे पे उसके अब मुस्कान कोई लाता होगा!
की अब सुरत पे उसके अपनी पहचान कोई बनाता होगा!
गुजरे हुए रास्ते का मुसाफिर सा हुं अब मैं!
तेरे जिंदगी में बस एक बिछड़ा आशिक सा हुं अब मैं!!

यूं सपनें दिखाकर नजदिकियां न दिखाओ ना!
युं चाहत जताकर मुझे अब अपना बनाओ ना!
गर वक्त रहते तुम मुझे काश की समझ पाते!
दिए गए समय में मुझे अपना बना पाते!!

तो आज सपनों की बातें ये हकीकत की होती!
तेरे गोदी में भी मेरी गुड़िया कोई रोती!

अब जाने दो छोड़ो ये दिलों के फासले रहने दो!
ये चाहतों पर लिए गए तुम्हारे फैसले अब रहने दो!
हम हैं मुसाफिर रास्तों के दुर तुमसे जाएंगे!
इन फासलों के बंदियों मे़ दुर तुमसे हो जाएंगे 
दुर तुमसे हो जाएंगे!2😭😭😭

©Prakash Vats Dubey

वो सुबह के सपनें में आकर मुझे अब भी जगाती है! नजदीक होने का एहसास दिलाकर वो मुझे अपना बनाती है! जानती है की दुर रहना मुमकिन नहीं है मुझसे! पर दुर होने का सपना दिखाकर वो मुझे डराती है!! इतना तो पता है कि मेरे जैसा प्यार उससे कोई नहीं कर सकता! मेरे बराबर दिल से उसपे कोई नहीं मर सकता!! पर वक्त की धुंध अभी छंटी नहीं है! किस्मत की लकीरें भी अभी बदली नहीं हैं! की चेहरे पे उसके अब मुस्कान कोई लाता होगा! की अब सुरत पे उसके अपनी पहचान कोई बनाता होगा! गुजरे हुए रास्ते का मुसाफिर सा हुं अब मैं! तेरे जिंदगी में बस एक बिछड़ा आशिक सा हुं अब मैं!! यूं सपनें दिखाकर नजदिकियां न दिखाओ ना! युं चाहत जताकर मुझे अब अपना बनाओ ना! गर वक्त रहते तुम मुझे काश की समझ पाते! दिए गए समय में मुझे अपना बना पाते!! तो आज सपनों की बातें ये हकीकत की होती! तेरे गोदी में भी मेरी गुड़िया कोई रोती! अब जाने दो छोड़ो ये दिलों के फासले रहने दो! ये चाहतों पर लिए गए तुम्हारे फैसले अब रहने दो! हम हैं मुसाफिर रास्तों के दुर तुमसे जाएंगे! इन फासलों के बंदियों मे़ दुर तुमसे हो जाएंगे दुर तुमसे हो जाएंगे!2😭😭😭 ©Prakash Vats Dubey

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