इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मोहब्बत की, कुछ ज़म | हिंदी शायरी Video

"इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मोहब्बत की, कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हो गए। उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा, दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है। मेरी मोहब्बत सच्ची है इसलिए तेरी याद आती है, अगर तेरी बेवफाई सच्ची है तो अब याद मत आना। समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी। ©Ramdayal Kumar "

इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मोहब्बत की, कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हो गए। उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा, दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है। मेरी मोहब्बत सच्ची है इसलिए तेरी याद आती है, अगर तेरी बेवफाई सच्ची है तो अब याद मत आना। समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी। ©Ramdayal Kumar

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