चंचल मन जिस ओर चाहता जाता है, बंधन के बाहर धुआं हम | हिंदी शायरी

"चंचल मन जिस ओर चाहता जाता है, बंधन के बाहर धुआं हमेशा रहता है!!! आशीष माधव ©ASHIS MADHAW"

 चंचल मन जिस ओर चाहता जाता है,
बंधन के बाहर धुआं हमेशा रहता है!!!
             आशीष माधव

©ASHIS MADHAW

चंचल मन जिस ओर चाहता जाता है, बंधन के बाहर धुआं हमेशा रहता है!!! आशीष माधव ©ASHIS MADHAW

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