कभी कभी हमे अपने उठे हुए कदम पीछे लेने पड़ते है
क्योंकि वख्त की ऐसी मांग होती है।
हम जिनसे प्यार करते है,
उन्हें अक्सर यह भ्रम हो जाता है कि हम कमजोर है,
इसलिए उनके सामने झुक जाते है ।
लेकिन उठे कदमों को पीछे लेने या
किसी के सामने झुकने से हम कमजोर नही होते है।
यदि बार बार कदम पीछे लेने की नौबत आये
या बार बार झुकने की नौबत आ जाये,
तो रुक जाना क्योंकि वह हमारे आत्म-स्वाभिमान को रौंद देगा
और कहावत है कि
शतरंज में वजीर और इंसान में जमीर मर जाये
तो सारा खेल ख़त्म।
©Prashant Roy
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