जहाँ कदर न हो अपनी वहाँ जाना फ़िज़ूल है, चाहे किसी

"जहाँ कदर न हो अपनी वहाँ जाना फ़िज़ूल है, चाहे किसी का घर हो चाहे किसी का दिल। @ b.s Rathore ©Bharat singh Rathore"

 जहाँ कदर न हो अपनी वहाँ जाना फ़िज़ूल है,  चाहे किसी का घर हो चाहे किसी का दिल।

@ b.s Rathore

©Bharat singh Rathore

जहाँ कदर न हो अपनी वहाँ जाना फ़िज़ूल है, चाहे किसी का घर हो चाहे किसी का दिल। @ b.s Rathore ©Bharat singh Rathore

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