सोलह सृंगार
तुम सोलह सृंगार करना मैं तुम्हे अपलक निहारूँगा।ऋषभ अपनी नयी
नवेली पत्नी के सिरहाने उसके गेसुओं को संवारते हुये कहता।शायद
ये शब्द उसकी पत्नी निशि को अंदर से प्रफुल्लित कर देती है।निशि भी
ऋषभ का हाथ अपने हाथ मे लेकर बड़े ही प्यार से कहती है।मेरा सजना
सवरना अगर आपको इतना ही प्रिय है तो मेरे नाथ मैं सजूंग ठीक उसी
तरह जैसे आपको पसंद हो।मुझे भी अच्छा लगेगा जब मैं सज संवर कर
आपके सिराहने आकर लेटूंगी और आप मुझे यूँही अपलक निहारते हुये
मेरी लटों के साथ अठखेलियां करेंगे।मैं भी आपके प्रेम में निशब्द
निर्विकार अपनी सुध बुध खोकर आपको अपने आलिंगन में भर लुंगी।
आह कितना मनमोहक ये पल जब ऋषभ और निशि दोनों एक दूसरे
से इतनी प्यारी बातों को अंजाम दे रहा था
आगे जारी है
©Raushan Rajput