शहर जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या ना था
ढूंढने निकले थे जिसको बस वही चेहरा न था
हम वही तुम भी वही मौसम वही मंजर वही
फासला बढ़ जाएगा इतना कभी सोचा ना था
फिक्र के दर पर कोई आहट कोई दस्तक न थी
वो फकत बीमार जिसका कोई हम सामा न था
रेत पर लिखे हुए नग़मो को पढ़ कर देख लो
आज तनहा रह गया हूं कल मगर ऐसा ना था
#मुस्तकीम रफी
#शहर Pratibha Tiwari(smile)🙂 Musher Ali @aman6.1 Arzooo 😍😍 Aloneboy™️