शायराना महफ़िल का गुलाब हुं मैं बिगडा हुआ आशिक़ नह | हिंदी शायरी

"शायराना महफ़िल का गुलाब हुं मैं बिगडा हुआ आशिक़ नही हर चाहने वाले के लिए खुली किताब हुं मैं तुम भी आजमायिश करके देख लो ऐ जानेमन बहुत लाज़वाब हूँ मैं ©shayari kingdom"

 शायराना महफ़िल का गुलाब हुं मैं 
बिगडा हुआ आशिक़ नही हर चाहने वाले के लिए खुली किताब हुं मैं 
तुम भी आजमायिश करके देख लो ऐ जानेमन बहुत लाज़वाब हूँ मैं

©shayari kingdom

शायराना महफ़िल का गुलाब हुं मैं बिगडा हुआ आशिक़ नही हर चाहने वाले के लिए खुली किताब हुं मैं तुम भी आजमायिश करके देख लो ऐ जानेमन बहुत लाज़वाब हूँ मैं ©shayari kingdom

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