रूबरू होने की तो छोड़िए-गुफ्तगू से भी कतराने लगे है | हिंदी शायरी

"रूबरू होने की तो छोड़िए-गुफ्तगू से भी कतराने लगे है।। गुरुर ओढ़े हुए कुछ रिश्ते,अपनी हैसियत पर इतराने लगे है।। ~पवन पंचारिया ✍️ ❤️की बात🧡से"

 रूबरू होने की तो छोड़िए-गुफ्तगू से भी कतराने लगे है।।
गुरुर ओढ़े हुए कुछ रिश्ते,अपनी हैसियत पर इतराने लगे है।।


~पवन पंचारिया ✍️





❤️की बात🧡से

रूबरू होने की तो छोड़िए-गुफ्तगू से भी कतराने लगे है।। गुरुर ओढ़े हुए कुछ रिश्ते,अपनी हैसियत पर इतराने लगे है।। ~पवन पंचारिया ✍️ ❤️की बात🧡से

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