White ख़ामोशी चुन लेते हैं.कोई फ़रियाद नही करते
इश्क़ में.डूबते हैं.ये दरिया तैरकर पार नही करते
शिकायतें रूठ जाती है..तो रूठ जाये
उन सुर्ख़ आँखों से..यूँ सवाल नही करते
ज़मानें का ये ऐब भी..सीख लिया है हमने
अक्सर झूठ बोल देते हैं कि.याद नही करते
बीच सफ़र में रास्ते बदल लिये है.तो क्या
उन्हें भूलने में,यूँ साँसें बेकार नही करते
सुख-चैन सारे गिरवी रखे है.. दर पे तेरे
कैसे दीये वाले हो.अँधेरे से प्यार नही करते
खुशबू बन फ़िज़ा में बिखर जाते होंगें शायद
ख़्वाब.. जो टूटने पर भी आवाज़ नही करते
शाम है. साथ है.. और है ढेर सारी बातें
कहने को तो सच है.कोई इबादत नही करते
@विकास
©Vikas sharma
टूटते ख़्वाब