किताब के पन्नो के बीच एक गुलाब छुपा रहा दो खिड़किय | हिंदी Poetry

"किताब के पन्नो के बीच एक गुलाब छुपा रहा दो खिड़कियों में इक - सी नींद जागती रही खामोशी में भी कही बाते हो रही रात बार इक चांद का साया रहा धीरे - धीरे चालाकी सूरज भी कर रहा रोज आना है फिर भी लम्बा इंतज़ार करा रहा रात भर एक चांद का साया रहा ©Tinshu"

 किताब के पन्नो के बीच एक गुलाब छुपा रहा
दो खिड़कियों में इक - सी नींद जागती रही
खामोशी में भी कही बाते हो रही
रात बार इक चांद का साया रहा
धीरे - धीरे चालाकी सूरज भी कर रहा
रोज आना है फिर भी लम्बा इंतज़ार करा रहा
रात भर एक चांद का साया रहा

©Tinshu

किताब के पन्नो के बीच एक गुलाब छुपा रहा दो खिड़कियों में इक - सी नींद जागती रही खामोशी में भी कही बाते हो रही रात बार इक चांद का साया रहा धीरे - धीरे चालाकी सूरज भी कर रहा रोज आना है फिर भी लम्बा इंतज़ार करा रहा रात भर एक चांद का साया रहा ©Tinshu

#Tinshu
#Chand

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