फरिश्तों को भी बता दो की हवा का रुख मोड़ लाया हूं | हिंदी कविता

"फरिश्तों को भी बता दो की हवा का रुख मोड़ लाया हूं देख आज फिर से तेरे लिए सब कुछ छोड़ आया हूं। छोड़ आया था पहले भी, कई दफा, ज़माने को झंझोड़ दिया हर एक लम्हे ने, तेरे बगैर ना रह गया कोई पता अब कहीं जाने को अकेला रहता भी तो कब तक? अब तो हवाएं भी तरस रही मुझे अपने साथ ले जाने को। रेत की तरह मुट्ठी से फिसल रहा था यूं लम्हा ना रह गया कुछ इन हाथों में बचाने को संभाल के रखी थी जो कुछ यादें तेरी आज बह रही है मेरे साथ, और बन गया एक नया फसाना दुनिया को सुनाने को देख आज फिर से छोड़ आया इस ज़माने को।। ©TheHoelySaint"

 फरिश्तों को भी बता दो की हवा का रुख मोड़ लाया हूं
देख आज फिर से तेरे लिए सब कुछ छोड़ आया हूं।
छोड़ आया था पहले भी, कई दफा, ज़माने को
झंझोड़ दिया हर एक लम्हे ने, तेरे बगैर
ना रह गया कोई पता अब कहीं जाने को
अकेला रहता भी तो कब तक?
अब तो हवाएं भी तरस रही मुझे अपने साथ ले जाने को।
रेत की तरह मुट्ठी से फिसल रहा था यूं लम्हा
ना रह गया कुछ इन हाथों में बचाने को
संभाल के रखी थी जो कुछ यादें तेरी
आज बह रही है मेरे साथ,
और बन गया एक नया फसाना दुनिया को सुनाने को
देख आज फिर से छोड़ आया इस ज़माने को।।

©TheHoelySaint

फरिश्तों को भी बता दो की हवा का रुख मोड़ लाया हूं देख आज फिर से तेरे लिए सब कुछ छोड़ आया हूं। छोड़ आया था पहले भी, कई दफा, ज़माने को झंझोड़ दिया हर एक लम्हे ने, तेरे बगैर ना रह गया कोई पता अब कहीं जाने को अकेला रहता भी तो कब तक? अब तो हवाएं भी तरस रही मुझे अपने साथ ले जाने को। रेत की तरह मुट्ठी से फिसल रहा था यूं लम्हा ना रह गया कुछ इन हाथों में बचाने को संभाल के रखी थी जो कुछ यादें तेरी आज बह रही है मेरे साथ, और बन गया एक नया फसाना दुनिया को सुनाने को देख आज फिर से छोड़ आया इस ज़माने को।। ©TheHoelySaint

#EkFasana

Farishton ko bhi bata do ki hawa ka rukh mod laya hun
Dekh aaj fr se tere liye sab kuch chhod aaya hun
Chhod aaya tha pehle bhi, kai dafa zamane ko
Jhanjhod diya har ek lamhe ne, tere bagair
Na reh gya koi pata ab kahin jaane ko
Akela rehta bhi toh kab tak?

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