जब तक प्राण मौजूद हैं इस तन में आशा-निराशा, उलझन | हिंदी कोट्स

"जब तक प्राण मौजूद हैं इस तन में आशा-निराशा, उलझन-सुलझन तो रहेंगी मन में जिस दिन बुलावा आ गया ईश्वर का, सारी पीड़ाएं खत्म क्षण में इसलिए जिंदादिली को कायम रखिए जनाब, उम्र बीत रही भ्रम में ©श्वेता शर्मा"

 जब तक प्राण मौजूद हैं इस तन में 

आशा-निराशा, उलझन-सुलझन तो रहेंगी मन में 

जिस दिन बुलावा आ गया ईश्वर का, सारी पीड़ाएं खत्म क्षण में 

इसलिए जिंदादिली को कायम रखिए जनाब, उम्र बीत रही भ्रम में

©श्वेता शर्मा

जब तक प्राण मौजूद हैं इस तन में आशा-निराशा, उलझन-सुलझन तो रहेंगी मन में जिस दिन बुलावा आ गया ईश्वर का, सारी पीड़ाएं खत्म क्षण में इसलिए जिंदादिली को कायम रखिए जनाब, उम्र बीत रही भ्रम में ©श्वेता शर्मा

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