शाम और इंतज़ार वही आकर दे जाते हैं अक्सर मशविरा मुझ

"शाम और इंतज़ार वही आकर दे जाते हैं अक्सर मशविरा मुझको जिसने रख छोड़ी है मेरे हिस्से में हर उदास शाम ©कमलकृष्ण"

 शाम और इंतज़ार वही आकर दे जाते हैं अक्सर मशविरा मुझको
जिसने रख छोड़ी है मेरे हिस्से में हर उदास शाम

©कमलकृष्ण

शाम और इंतज़ार वही आकर दे जाते हैं अक्सर मशविरा मुझको जिसने रख छोड़ी है मेरे हिस्से में हर उदास शाम ©कमलकृष्ण

#Shaam

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