मौत बरहक़ है एक दिन आनी है
दुनिया को एक दिन तो होना फ़ानी है
लोगों का काम ही है तकलीफ देना
यही तो फितरत ए इंसानी है
जीना ही है तो खुशहाली से जियो
वरना यह तो बेकार ज़िंदगानी है
अभी वक़्त है कि सुधर जाओ
वरना अज़ाब आना आसमानी है
करते नहीं तुम इज़्ज़त माँ बायो की
यही आदत तो तुम्हारे नाफ़रमानी है
बुरे वक़्त को जल्दी भूल जाना
इस तरह जीना ही आसानी है
मर कर चले जाते है लोग यहाँ से
रहती है याद बस उनकी कहानी है
जिस्म से तो जुदा हो गए रहमान
एहसास मगर सब रूहानी है
*Zr Rehman*