कल शाम की बात है फिर वही जज़्बात है, की वक़्त का पहिया इस कद्र चल पड़ा
जाने वाले जाते गए
फिर भी ना ये थमा
गलती थी ये हमारी जो वक़्त का इंतज़ार किया
छीन के सब कुछ चैन इसे ना मिला
छीन लेता है अपने सारे समेट लो कुछ यादो को
वक़्त वक़्त की बात है ज़हन मे बिठा लो इन बातो को
©Räg Ha V
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#जज़्बात