दुजी दफ़ा मैं इश्क़ ही नहीं करता,
ये दिल मेरा बस तेरा है किसी और भला कैसे करता ,
अब दुजी दफ़ा इश्क़ करू तो करू कैसे,
मेरे दिल में लगी तेरी तस्वीर देख ,
ये दिल कोई और तस्वीर दिल उकेरना नहीं चाहता ,
निकालना भी चाहूँ तुझे गर दिल से, तो
खफा हो जाता है ये दिल , मगर
महज़ मेरी ये एक बात नहीं मानता ,
तुमसे कही बाते दौहरा तो दू ,
किसी संग मेरी जिंदगी में,
मगर इसकी इज़्जात मेरा दिल नहीं देता ,
तु गया है बेशक मेरी जिंदगी से मेरी जाँ,
मगर जो तुझे अच्छा ना लगे,
वो गलतिया मेरा दिल आज भी नहीं करता......
किसी के एहसासों की नींव रखी जाती है हर रोज़,
मेरे दिल के जमीं पर,
मगर पुराने जज्बातों से जुड़े पुराने घर को,
ये दिल छोड़ना तोड़ना नहीं चाहता,
दीवाना कहलाए ये दिल मेरा बस तेरा,
इससे ज्यादा "पिंकी" मैं ,
कोई ख़वाईस का घरौंदा नहीं रखता ,
©Pinki
#Heart