टोका-टाकी से मैं झुन्झुला भी जाऊँ कभी तो, समझदार ह
"टोका-टाकी से मैं झुन्झुला भी जाऊँ कभी तो,
समझदार हो, अब न कुछ बोलुंगी मैं;
ऐसा अक्सर बोलकर वो रूठती है,
फिर अगले ही पल उसकी चिन्ता में हिदायत होती है,
.........माँ कितना झूठ बोलती है ।"
टोका-टाकी से मैं झुन्झुला भी जाऊँ कभी तो,
समझदार हो, अब न कुछ बोलुंगी मैं;
ऐसा अक्सर बोलकर वो रूठती है,
फिर अगले ही पल उसकी चिन्ता में हिदायत होती है,
.........माँ कितना झूठ बोलती है ।