हवाओं की रुख़ से परेशान मत हो, वो तुम्हारी मंज़िल | हिंदी विचार

"हवाओं की रुख़ से परेशान मत हो, वो तुम्हारी मंज़िल को नहीं, तुम्हारे इरादों को परखने आई हैं। ©Srinivas"

 हवाओं की रुख़ से परेशान मत हो, वो तुम्हारी मंज़िल को नहीं, तुम्हारे इरादों को परखने आई हैं।

©Srinivas

हवाओं की रुख़ से परेशान मत हो, वो तुम्हारी मंज़िल को नहीं, तुम्हारे इरादों को परखने आई हैं। ©Srinivas

हवाओं की रुख़ से परेशान मत हो, वो तुम्हारी मंज़िल को नहीं, तुम्हारे इरादों को परखने आई हैं।

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